शनिवार, 28 जनवरी 2012

"चुनावी बिसात"

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पांचों राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम इस बार न केवल उन राज्यों की स्थानीय राजनीति के उठल-पुथल तक ही सीमित रहने वाले हैं बल्कि इस बार इन परिवर्तनों का अच्छा-खासा प्रभाव राष्ट्रीय राजनीति पर भी देखने को मिलेगा. और यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक दल इन चुनावों को 2014 में होने वाले आम चुनाव का सेमीफाईनल मान कर लड़ रहे हैं. प्रमुख रूप से भाजपा और कांग्रेस ने अभी से ही अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है. मसलन, भाजापा जहां राम मंदिर निर्माण के अपने बेहद महत्वाकांक्षी मुद्दे पर फिर से लौट आयी है तो वहीं अपनी डूबती नैया को बचाने के लिए आरक्षण को ही अंतिम सत्य मानकर चल रही कांग्रेस ने एक बार फिर से मजहबी आरक्षण का अपना महत्त्वपूर्ण पत्ता फेंक दिया. अब बस देखते रहिए कि राजनीतिक लाभ के द्वारा केवल सत्ता की चाभी पाने को लालायित इन दलों द्वारा ‘मूर्ख जनता’ के सामने अभी और क्या-क्या चालें चली जानी बाकी हैं....!